बुद्धोति यो सो भगवा सयम्भू अनाचरियको पुब्बे अननुस्सुतेसु धम्मेसु सामं सच्चानि अभिसम्बुज्झि, तत्थ च सब्बञ्ञुतं पापुणि [पत्तो (स्या॰)], बलेसु च वसीभावं पापुणि।
बुद्ध: वो भगवान, स्वयंभू, जिस्ने विना कोहि आचार्य "पहेले कभी न सुनाहुवा धर्मौके सत्य मे स्वयं अभिसम्बुद्ध हुए और उस्केबाद सर्वज्ञता हासिल करते हुवे [दस] बलौंको वशमे किया ।
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